शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

आईना

जब भी मिलती हूं तुमसे
बस यही सोचती हूं
ये कौन है
जो मेरे जैसा नहीं है
फिर क्यूं मेरे जैसा लगता है??

सोचता है मेरी तरह
मेरी जैसी बातें करता है
मेरी खामोशी को जबां देकर
मेरी बातें कहता है

ये कौन है
जो दिल की गहराई में उतर आया है
और इनमें छुपी उदासी के
मोती ढूंढ लाया है
अब पलकों के साये में हर पल
वही रहता है 

लेकिन आज तुम्हारे सामने बैठकर
दिल को यूं महसूस किया
कि तुम इक आईना हो
जिसमें मेरा अक्स दिखता है...    

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

सुनो !!


सुनो!!
मुझे चांद मत कहा करो
सिर्फ़ चार दिन की चांदनी बनकर
जिन्दगी में नहीं आना मुझे

उम्रभर के साथ की ख्वाहिश है
उजली-अंधेरी रातों में
दिन के तीखे धूप
और सांवली छांव में भी
ज़िन्दगी में हर पल तुम्हें पाना चाहूंगी

अब इस बात पर मुस्कराहट कैसी ??
गर मैंने मान लिया कि 
मैं तुम्हारी चांद हूं
तुम्हारे ही शब्दों में
खूबसूरती का नायाब संगम 
तो तुम खुद को सूरज कहोगे
वह सूरज जिससे चांद का वजूद पूरा है
जिससे ही चांद की चांदनी 
एक राहत है इक सुकून___

चांद-सूरज की जोड़ी 
यह सुनना शायद बहुत अच्छा लगे

पर तुम ही बताओ ?
सूरज -चांद का मेल हो सका है कभी?
एक को दिन ढलने का दुःख
दूसरे की रात निकलने की जल्दी

अब ऐसा भी क्या मिलना
जिस में आने-जाने की जल्दी लगी हो
एक-दूसरे से ज्यादा फ़िक्र-ओ-दुनिया
तब कहां पा सकूंगी ज़िन्दगी के हर पल तुम्हें ??

सोचो !! पा सकोगे हर पल का साथ..??
हमसफ़र बनना है हमें
और हमसाया भी
मुझ से तुम और तुम से मेरी पहचान तो तब होगी
चांद निकलने से लेकर सूरज ढलने तक 

इसलिए कहती हूं
मैं तुम्हारी ही हूं
छोड़ो ये नाम रखने के मरहले
क्यूं न मैं और तुम? 'हम' रहें
जब हर पल ही होगा हमारा साथ
तो क्या सूरज और क्या चांद...??

बुधवार, 30 जनवरी 2013

छुअन...

नैन के कोरों में
बसा एक सपना 
न जाने कब अपना सा लगने लगा
कुछ पता ही नहीं ___

कहीं वो ही लम्हा तो नहीं
कि जब तेरी आंखों में मेरे लिए 
बेहिसाब मुस्कुराहटें होती थीं
या फिर,
तुम्हारी बातों ने रह-रहकर 
मेरी कानों को छुआ था

आज भी जब इसका हिसाब करने बैठती हूं
तो कोई छोर ही नहीं मिलता
याद आती है तो बस वो मुस्कुराती
कुछ बोलती सी आंखें
या फिर वो छुअन...

रविवार, 1 जुलाई 2012

ऐ जिंदगी !!


कहीं बेकिनार से रतजगे, कहीं ज़रनिगार से ख़्वाब दे
तेरा क्या उसूल है जिंदगी,मुझे कौन इसका जवाब दे

जो बिछा सकूं तेरे वास्ते , जो सजा सकूं तेरे रास्ते
मेरी दस्तरस में सितारे रख,मेरी मुट्ठियों में गुलाब दे

ये जो ख्वाहिशों का परिंद है,इसे मौसमों से गर्ज़ नहीं
ये उड़ेगा अपनी मौज में , इसे आब दे कि सराब दे

कभी यूं भी हों तेरे रूबरू , मैं नज़र मिला के ये कह सकूं
मेरी हसरतों को शुमार कर , मेरी ख्वाहिशों का हिसाब दे...

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

स्वप्न की बातें आप ही जानो
मैं आपपे बीता जानूं रे,
पीर परायी की बातों पर
मैं क्यूं रीता जाऊं रे ,
दुनिया कहती वो तेरा है
क्यूं इसे भी मैं सच मानूं रे...

रविवार, 9 अक्टूबर 2011

कहा था तुमने___


कहा था याद है तुम ने
कि मैं हूं चान्द
और तुम चान्दनी मेरी
मगर जब चान्द छुप जाए
कहो फिर चान्दनी कैसी ... ?

कहा था याद है तुम ने
कि मैं हूं फूल
और तुम फूल की खुश्बू
मगर जब फूल मुरझा जाए
कहो खुश्बू भला कैसी ... ?

कहा था याद है तूने
कि मैं हूं दिल
तुम हो धड़कन
मगर दिल टूट जाए तो
कहो फिर धड़कनें कैसी ... ?

कहा था याद है तुम ने
कि मैं हूं आस
और तुम जिन्दगी मेरी
मगर जब आस टूटे तो
कहो फिर जिन्दगी कैसी ... ?



शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

कुछ ख़्वाब हैं...


कुछ ख़्वाब हैं जिनको लिखना है
ताबीर की सूरत देनी है
कुछ लोग हैं उजड़े दिल वाले,
जिन्हें अपनी मुहब्बत देनी है

कुछ फूल है जिनको चुनना है
और हार की सूरत देनी है

कुछ अपनी नीन्दें बाकी हैं ,
जिन्हें  बांटना है कुछ लोगों में

बेचैन-बेखबर से सपने
उनको भी तो राहत देनी है

कुछ वक्त है जिनको जीना है
मानूस सी खुश्बू लेनी है

कुछ पहचान हैं जो अधूरे से...
रिश्तों की तामीर देनी है

अपने-से ख्याल ,गैरों से सवाल
उनको भी हकीकत बननी है 

ऐ उम्रे-रवां   !
आहिस्ता चल...
अभी खासा क़र्ज़ चुकाना है

ऐ उम्र-ए-रवां !आहिस्ता चल___
अभी खासा क़र्ज़ चुकाना है  ...... !!