जब भी मिलती हूं तुमसे
बस यही सोचती हूं
ये कौन है
जो मेरे जैसा नहीं है
फिर क्यूं मेरे जैसा लगता है??
सोचता है मेरी तरह
मेरी जैसी बातें करता है
मेरी खामोशी को जबां देकर
मेरी बातें कहता है
ये कौन है
जो दिल की गहराई में उतर आया है
और इनमें छुपी उदासी के
मोती ढूंढ लाया है
अब पलकों के साये में हर पल
वही रहता है
लेकिन आज तुम्हारे सामने बैठकर
दिल को यूं महसूस किया
कि तुम इक आईना हो
जिसमें मेरा अक्स दिखता है...
बस यही सोचती हूं
ये कौन है
जो मेरे जैसा नहीं है
फिर क्यूं मेरे जैसा लगता है??
सोचता है मेरी तरह
मेरी जैसी बातें करता है
मेरी खामोशी को जबां देकर
मेरी बातें कहता है
ये कौन है
जो दिल की गहराई में उतर आया है
और इनमें छुपी उदासी के
मोती ढूंढ लाया है
अब पलकों के साये में हर पल
वही रहता है
लेकिन आज तुम्हारे सामने बैठकर
दिल को यूं महसूस किया
कि तुम इक आईना हो
जिसमें मेरा अक्स दिखता है...
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